गिझौड़ गांव में प्राचीन शिव मंदिर पर महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक

गिझौड़ गांव में प्राचीन शिव मंदिर पर महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक

📰 दैनिक पड़ताल समाचार पत्र
दिनांक: 23 जुलाई 2025 | स्थान: नोएडा, उत्तर प्रदेश
संस्करण: नोएडा क्षेत्रीय | प्रेषक: संवाददाता


गिझौड़ गांव में प्राचीन शिव मंदिर पर महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक

15 वर्षों से चल रही कांवड़ परंपरा बनी आस्था और संस्कृति की मिसाल

गिझौड़ (सेक्टर-53, नोएडा):
गांव की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बने 200 वर्ष पुराने प्राचीन शिव मंदिर पर इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भव्य जलाभिषेक का आयोजन किया गया। बुधवार सुबह 7:25 बजे गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक कर गांववासियों ने भक्ति और श्रद्धा का परिचय दिया।

इस अवसर पर गांव के दर्जनों श्रद्धालु उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से संग्राम भोला, सचिन भोला, प्रिंस बोल, आदित्य बोल, मनीष बोल, सचिन बोल, राहुल बोला, संजय भोला, नितिन भोला, सौरव भोला, विपिन बोल, आकाश बोल, मनोज भोला, बिट्टू बोल और सचिन कौशिक बोला शामिल रहे।


प्राचीन मंदिर की ऐतिहासिक विरासत

गांव गिझौड़ का यह शिव मंदिर लगभग 200 वर्षों पुराना माना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना गांव के पूर्वजों द्वारा की गई थी। वर्षों से यह मंदिर गांववासियों की आस्था का केंद्र रहा है। महाशिवरात्रि, सावन सोमवार और कांवड़ मेले जैसे पर्वों पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है।


लगातार 15 वर्षों से जारी कांवड़ परंपरा

गांव गिझौड़ के युवाओं द्वारा लगातार 15 वर्षों से हरिद्वार से गंगाजल लाकर इस मंदिर में जल चढ़ाने की परंपरा निभाई जा रही है। यह कांवड़ यात्रा ना केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि गांव के सामूहिक सौहार्द, अनुशासन और सहयोग का परिचायक भी है।

कांवड़ लाने वाले युवाओं के अनुसार, यह यात्रा उन्हें संघर्ष, भक्ति और सेवा का पाठ सिखाती है। यह परंपरा अब गांव की पहचान बन चुकी है।


गांव का संक्षिप्त इतिहास और सांस्कृतिक पहचान

गिझौड़ गांव नोएडा के बीचोंबीच स्थित होने के बावजूद आज भी अपनी सांस्कृतिक परंपराओं, रीति-रिवाजों और ग्रामीण संस्कृति को संजोए हुए है। यहां के निवासी समय-समय पर सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

गांव की नई पीढ़ी भी अब अपने मूल और संस्कृति से जुड़ने की दिशा में सक्रिय हो रही है।


सामाजिक संदेश: धर्म के साथ-साथ समाज की सेवा भी जरूरी

इस आयोजन के माध्यम से गांववासियों ने यह संदेश दिया कि शिव की भक्ति केवल मंदिर तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि समाज सेवा, भाईचारा और सद्व्यवहार में भी झलकनी चाहिए।

“भक्ति का वास्तविक स्वरूप तभी पूर्ण होता है जब वह समाज के हित में कार्य करे” — स्थानीय निवासी


निष्कर्ष

गिझौड़ गांव का यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास, धर्म और सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ने का उदाहरण बनता जा रहा है। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा और सांस्कृतिक चेतना है, जिसे गांववासी श्रद्धा और समर्पण से आगे बढ़ा रहे हैं।


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2 Comments

  1. Ham kahan chale Gaye bhaiya aise hi hoga mere Sath

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  2. Hamare दूर-दूर Tak bhi dalna hai Ham pagal Hai

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