योगी आदित्यनाथ ने दी रामभद्राचार्य जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 की बधाई
लखनऊ, 16 मई 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को प्रतिष्ठित 'ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023' से सम्मानित होने पर हार्दिक बधाई दी। यह पुरस्कार उन्हें संस्कृत भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल (@myogiadityanath) पर इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, "आज माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी द्वारा पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित 'ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023' से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई!"
उन्होंने आगे लिखा, "आपका कालजयी रचना संसार वैश्विक साहित्य जगत के लिए अमूल्य धरोहर है। आपका सम्मान संत परंपरा, भारत की साहित्यिक विरासत एवं राष्ट्रधर्म का सम्मान है।"
रामभद्राचार्य जी का साहित्यिक योगदान
स्वामी रामभद्राचार्य जी ने संस्कृत साहित्य, रामचरितमानस, और भारतीय दर्शन के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया है। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार जैसे सम्मान से उनकी साहित्यिक उपलब्धियों का महत्व और बढ़ गया है। यह पुरस्कार भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार का महत्व
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जो भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले व्यक्तियों ने भारतीय साहित्य को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है। स्वामी रामभद्राचार्य का यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि संपूर्ण संत परंपरा और भारतीय संस्कृति के लिए गौरव का क्षण है।
योगी आदित्यनाथ का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने बधाई संदेश में स्वामी रामभद्राचार्य के कार्यों को 'कालजयी' और 'अमूल्य धरोहर' बताया। उन्होंने इस सम्मान को भारत की साहित्यिक और आध्यात्मिक विरासत का सम्मान करार दिया। योगी आदित्यनाथ ने स्वामी जी के योगदान को राष्ट्रधर्म से जोड़ते हुए इसे देश के लिए प्रेरणादायक बताया।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
स्वामी रामभद्राचार्य के कार्यों ने न केवल संस्कृत भाषा को पुनर्जनन दिया है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धर्म को भी नई दिशा प्रदान की है। उनके द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थान और सामाजिक कार्य भी समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। इस पुरस्कार से उनके प्रयासों को और अधिक मान्यता मिलेगी।
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