मंत्री विजय शाह के बयान से मचा बवाल: कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी से सियासी भूचाल, हाई कोर्ट ने FIR का आदेश दिया

मंत्री विजय शाह के बयान से मचा बवाल: कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी से सियासी भूचाल, हाई कोर्ट ने FIR का आदेश दिया

भोपाल/इंदौर, 16 मई 2025:
मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक बयान ने ऐसा तूफान खड़ा कर दिया है, जिसकी गूंज न सिर्फ विधानसभा से लेकर सोशल मीडिया तक सुनाई दे रही है, बल्कि अब मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है। यह विवाद जुड़ा है आदिवासी कल्याण मंत्री विजय शाह के उस बयान से, जिसमें उन्होंने भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। बयान को देश के बहुसंख्यक वर्ग ने न सिर्फ सांप्रदायिक और महिला विरोधी माना, बल्कि इसे सेना का अपमान भी कहा गया।

इस रिपोर्ट में हम आपको इस पूरे मामले की सिलसिलेवार जानकारी देंगे—कि कैसे एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दिया गया बयान सियासत की गलियों से होते हुए कोर्ट-कचहरी तक पहुंच गया।


मंत्री विजय शाह के बयान से मचा बवाल: कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी से सियासी भूचाल, हाई कोर्ट ने FIR का आदेश दिया


📍 विवाद की शुरुआत: कहाँ, कब और कैसे?

12 मई 2025 को इंदौर जिले के मनपुर में एक सामाजिक कार्यक्रम 'हलमा' का आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय शाह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। अपने भाषण में उन्होंने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख किया। इसी ऑपरेशन में मीडिया को जानकारी देने की ज़िम्मेदारी संभाली थी कर्नल सोफिया कुरैशी ने, जो भारतीय सेना की एक जांबाज़ और सम्मानित अधिकारी हैं।

लेकिन भाषण के दौरान विजय शाह ने जो कहा, उसने पूरे माहौल को बिगाड़ दिया। उन्होंने कहा,

"सोफिया कुरैशी उस समुदाय की हैं जिसने हाल ही में पहलगाम में 26 लोगों की हत्या की थी।"

उन्होंने उन्हें आतंकवादियों की बहन जैसे शब्दों में संबोधित किया। यह टिप्पणी तुरंत वहां मौजूद कुछ लोगों को तो सही लगी, पर जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो आग की तरह फैल गई।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और महिला संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जीतू पटवारी ने इस बयान को बीजेपी की 'सोच' बताया, तो कई बीजेपी नेताओं ने भी चुप्पी साध ली।


⚖️ हाई कोर्ट का एक्शन: FIR दर्ज करने का आदेश

विवाद बढ़ने के बाद 14 मई को जबलपुर हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की बेंच ने कहा कि मंत्री का बयान बेहद अशोभनीय, साम्प्रदायिक और महिला विरोधी है।

कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि 14 मई की शाम 6 बजे तक FIR दर्ज की जाए, नहीं तो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

इसके बाद उसी शाम मनपुर पुलिस थाने में FIR दर्ज की गई, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, 196(1)(b), और 197(1)(c) के तहत मामला दर्ज हुआ। यह धाराएं देश की एकता को खतरे में डालने, साम्प्रदायिकता फैलाने, और सार्वजनिक शांति भंग करने से जुड़ी हैं।


🙏 विजय शाह की माफ़ी: दिल से या मजबूरी?

बढ़ते दबाव और कोर्ट के आदेश के बाद विजय शाह ने 13 मई को एक वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा:

"मैं दिल से माफी मांगता हूं। सोफिया कुरैशी हमारी देश की बेटी हैं और उन्होंने समाज से ऊपर उठकर राष्ट्र की सेवा की है। यदि मेरी बात से किसी को दुख पहुंचा हो तो मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूं।"

हालाँकि लोगों ने इसे डैमेज कंट्रोल की कोशिश बताया।
राष्ट्रीय महिला आयोग, वरिष्ठ पत्रकार और सोशल मीडिया पर एक्टिव सिविल सोसायटी ने कहा कि

"सिर्फ माफी से नहीं चलेगा, मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।"


⚖️ सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: राहत नहीं मिली

मंत्री विजय शाह ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए 15 मई को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उन्हें तुरंत राहत देने से इनकार कर दिया।

चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह ने कहा:

"संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी से बोलना चाहिए, विशेषकर तब जब देश आतंकवाद और सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहा हो।"

कोर्ट ने इस पर अगली सुनवाई की तारीख 16 मई 2025 तय की है। हाई कोर्ट ने भी FIR में तकनीकी खामियों पर नाराजगी जताई और जांच की निगरानी का फैसला लिया।


🔥 सियासत का तड़का: भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने

इस पूरे विवाद ने मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बयान से दूरी बनाते हुए कहा:

"सरकार संविधान और कोर्ट के आदेशों का पालन करेगी।"

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बयान दिया कि,

"विजय शाह बीजेपी की ट्रोल आर्मी की भाषा बोल रहे हैं।"

राज्य बीजेपी नेतृत्व भी असहज हो गया है। पार्टी ने मंत्री को नोटिस जारी किया है, वहीं सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व भी इस मामले को लेकर बेहद चिंतित है।


🕒 टाइमलाइन: कब क्या हुआ?

तारीखघटना
12 मई 2025विजय शाह का विवादित बयान मनपुर में
13 मई 2025वीडियो वायरल, शाह ने माफी वीडियो जारी किया
14 मई 2025हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और FIR का आदेश दिया
14 मई 2025 शामFIR दर्ज की गई मनपुर थाने में
15 मई 2025सुप्रीम कोर्ट में याचिका, राहत नहीं मिली
16 मई 2025अगली सुनवाई निर्धारित

🛡️ सवाल जो जनता पूछ रही है:

  • क्या विजय शाह का राजनीतिक करियर अब खतरे में है?

  • क्या माफी से मामला शांत हो जाएगा?

  • क्या सेना की महिलाओं को इस तरह की टिप्पणियों से सुरक्षित रखा जा सकता है?

  • क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में नया उदाहरण पेश करेगा?


📌 निष्कर्ष

इस पूरे प्रकरण ने ये स्पष्ट कर दिया है कि वर्दीधारी महिला अफसरों, खासकर अल्पसंख्यक पृष्ठभूमि की अफसरों के प्रति सार्वजनिक मंचों पर भाषा की मर्यादा रखना कितना ज़रूरी है।
जहाँ एक ओर कोर्ट ने समय रहते सख्ती दिखाई, वहीं मीडिया और सोशल मीडिया ने भी अपनी भूमिका निभाई।

अब नज़रें टिकी हैं 16 मई की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर और उस राजनीतिक निर्णय पर जो मुख्यमंत्री या पार्टी नेतृत्व विजय शाह के भविष्य को लेकर लेंगे।


लेख: Dainik Padtaal टीम
संपादन: डिजिटल डेस्क
स्रोत: कोर्ट दस्तावेज़, न्यूज़ रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया रिएक्शन

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