पलवल के वीर सपूत लांस नायक दिनेश कुमार को अंतिम विदाई: देश के लिए दी जान, हरियाणा में गर्व का माहौल

पलवल के वीर सपूत लांस नायक दिनेश कुमार को अंतिम विदाई: देश के लिए दी जान, हरियाणा में गर्व का माहौल

लवल, हरियाणा: हरियाणा के पलवल जिले के मोहम्मदपुर गांव के लाल, लांस नायक दिनेश कुमार ने देश की रक्षा करते हुए 7 मई 2025 को नियंत्रण रेखा (LoC) पर अपनी जान न्यौछावर कर दी। पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए सीजफायर उल्लंघन के दौरान उनकी शहादत ने पूरे देश को गमगीन कर दिया। गुरुवार, 8 मई 2025 को उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव गुलाबद, पलवल लाया गया, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके पिता दयाचंद ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान गांव में हजारों लोग मौजूद थे, जिन्होंने "वंदे मातरम" और "भारत माता की जय" के नारों के साथ अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी।
लांस नायक दिनेश कुमार की शहादत की कहानी
लांस नायक दिनेश कुमार, भारतीय सेना की 5 फील्ड रेजिमेंट में तैनात थे। उनकी उम्र मात्र 32 वर्ष थी। 7 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर भारी गोलीबारी शुरू की। यह गोलीबारी "ऑपरेशन सिंदूर" के जवाब में थी, जिसमें भारत ने 6 मई की रात को पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। इस ऑपरेशन ने आतंकी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को भारी नुकसान पहुंचाया था।
पाकिस्तान की इस बौखलाहट में की गई गोलीबारी का जवाब देने के लिए लांस नायक दिनेश कुमार ने अपने चार साथियों के साथ मोर्चा संभाला। इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए और अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी शहादत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को गर्व और दुख के मिश्रित भाव में डुबो दिया।
कौन थे लांस नायक दिनेश कुमार?
दिनेश कुमार का जन्म पलवल के मोहम्मदपुर गांव में हुआ था। वह अपने पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। साल 2014 में वह भारतीय सेना की तोपखाना रेजिमेंट में लांस नायक के पद पर भर्ती हुए थे। हाल ही में उनकी लांस नायक के पद पर पदोन्नति हुई थी। उनके दो छोटे भाई, कपिल और हरदत्त, भी अग्निवीर योजना के तहत सेना में हैं। उनकी पत्नी सीमा एक वकील हैं और वर्तमान में गर्भवती हैं। उनके दो बच्चे हैं - एक 7 साल की बेटी और एक 5 साल का बेटा।
उनके पिता दयाचंद ने कहा, "मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। मुझे उस पर गर्व है। मेरे दो अन्य बेटे भी सेना में हैं और देश की सेवा के लिए तैयार हैं।" दिनेश के चचेरे भाई मुकेश, जो सेना की मेडिकल विंग में हैं, ने बताया कि दिनेश आर्टिलरी डिवीजन में थे और दुश्मन की गोलीबारी में घायल होने के बाद उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
नेताओं और सेना ने दी श्रद्धांजलि
लांस नायक दिनेश कुमार की शहादत पर भारतीय सेना के व्हाइट नाइट कोर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर श्रद्धांजलि दी। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, "लांस नायक दिनेश कुमार का बलिदान देश कभी नहीं भूलेगा। हम उनके परिवार के साथ हैं।"
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी X पर लिखा, "हरियाणा के पलवल के वीर सपूत दिनेश कुमार शर्मा ने मां भारती की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनकी शहादत पर हर देशवासी को गर्व है।" इसके अलावा, कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने भी दिनेश की शहादत को नमन किया।

पाकिस्तानी सेना ने 6 और 7 मई 2025 को पुंछ, राजौरी, बारामुला, कुपवाड़ा, और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलीबारी की, जिसमें 15 से अधिक नागरिकों की मौत हुई और 43 लोग घायल हुए। यह गोलीबारी 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत ने इस हमले का जवाब "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत दिया, जिसके बाद पाकिस्तान ने सीजफायर उल्लंघन को और बढ़ा दिया।
स्थानीय लोगों ने कहा, "हम अपने घर नहीं छोड़ेंगे। हम भारतीय सेना के साथ हैं।" कई परिवारों ने अपने बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया, लेकिन पुरुष गांव में ही डटे रहे। भारतीय सेना ने हर बार पाकिस्तान की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया।

गांव में शोक और गर्व का माहौल
दिनेश की शहादत की खबर मिलते ही उनके गांव मोहम्मदपुर में मातम छा गया। 8 मई को दोपहर 2 बजे उनकी पार्थिव देह दिल्ली से पलवल पहुंची। अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। गांव के हर घर से लोग अपने वीर सपूत को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। स्कूलों और दुकानों को बंद कर दिया गया, और पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया।
पलवल के डीसी हरीश कुमार वशिष्ठ ने उनकी शहादत की पुष्टि की और कहा, "दिनेश का बलिदान हमें हमेशा प्रेरित करेगा। प्रशासन उनके परिवार के साथ है।"

लांस नायक दिनेश कुमार की शहादत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत के सैनिक देश की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनकी वीरता और समर्पण हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। उनका परिवार भले ही आज दुख में हो, लेकिन उनकी शहादत पर पूरे देश को गर्व है।


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