मुज़फ्फरनगर में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ मंच पर बदसलूकी, पगड़ी गिराई गई – BKU ने बुलाई आपात पंचायत

 मुज़फ्फरनगर में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ मंच पर बदसलूकी, पगड़ी गिराई गई – BKU ने बुलाई आपात पंचायत

दैनिक पड़ताल | विशेष रिपोर्टदि नांक: 3 मई 2025 | स्थान: मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेशमुज़फ्फरनगर के टाउन हॉल मैदान में 2 मई को आयोजित एक विरोध सभा के दौरान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता और प्रमुख किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत के साथ अभद्रता की गई। यह सभा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में आयोजित की गई थी। सभा स्थल पर जैसे ही राकेश टिकैत मंच पर पहुंचे, कुछ अराजक तत्वों ने उनके खिलाफ "टिकैत वापस जाओ" और "किसानों का गद्दार" जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। माहौल तनावपूर्ण होते ही धक्का-मुक्की शुरू हो गई और इसी दौरान टिकैत की पगड़ी गिर गई। घटना के तुरंत बाद टिकैत मंच से नीचे उतर गए और सुरक्षा घेरे में बाहर ले जाए गए।


इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें टिकैत को मंच से हटते और पगड़ी गिरती हुई साफ़ दिखाई दे रही है। वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश के किसान संगठनों और राजनीतिक दलों में आक्रोश फैल गया है। BKU के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने इस घटना को "किसान आंदोलन पर हमला" बताया है और3मई को मुज़फ्फरनगर के GIC ग्राउंड में आपात ‘किसान पंचायत’ बुलाई है। राकेश टिकैत ने कहा कि यह हमलाएक सोची-समझी साजिश थी जिसे किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए रचा गया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि किसानों की आवाज़ दबाने की कोशिश की गई तो वे फिर से ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर उतरेंगे।

पुलिस प्रशासन ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए जांच शुरू कर दी है। एसपी सिटी सत्यानारायण प्रजापत ने कहा कि सभा स्थल पर कुछ लोग नारेबाज़ी कर रहे थे और हल्की धक्का-मुक्की हुई, जिससे पगड़ी गिर गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह हमला नहीं था और स्थिति को तुरंत नियंत्रित कर लिया गया था। हालांकि किसान संगठनों और नेताओं ने इसे सीधा अपमान माना है।

इस घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज़ हो गई हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि राकेश टिकैत का अपमान हर किसान का अपमान है और भाजपा को इसपर जवाब देना होगा। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी इसे संघ और भाजपा समर्थकों की साजिश बताया है और कहा है कि कुछ ताकतें किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं।

फिलहाल इस पूरे प्रकरण ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया है। BKU के कार्यकर्ताओं में गहरा रोष है और पंचायत के बाद किसी बड़े आंदोलन की भूमिका तैयार हो सकती है। किसानों का कहना है कि जब तक दोषियों को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने पर मजबूर नहीं किया जाता, तब तक यह मामला शांत नहीं होगा।


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