नोएडा में महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती की तैयारियां जोरों पर – 11 मई 2025 को होगा भव्य आयोजन
नोएडा, मई 2025 – राजपूत युवा संगठन नोएडा और विभिन्न राजपूताना संगठनों के सहयोग से वीर योद्धा महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती 11 मई 2025 को भव्य रूप से मनाने की तैयारियां चल रही हैं। यह महत्वपूर्ण आयोजन नोएडा, गौतम बुद्ध नगर में होगा और पूरे शहर में इसकी चर्चा जोरों पर है। आयोजन के पोस्टर शहर की गाड़ियों पर चस्पा हैं और सोशल मीडिया पर भी ये पोस्टर खूब वायरल हो रहे हैं, जो इस उत्सव की तैयारियों में जोश और उमंग को दर्शाते हैं।
आयोजन का विवरण: गर्व और उत्सव का दिन
इससे पूर्व, जो लोग उत्सव में आरंभ से भाग लेना चाहते हैं, उनके लिए "झांकी" सुबह 8:00 बजे गाँव मंगरौली, सेक्टर-168 से होगा। यह झांकी गाँव छपरौली, गाँव बजीतपुर, गाँव शाहपुर से होकर सेक्टर-105 अंडरपास और गाँव सदरपुर से होती हुई छलेरा गाँव बारात घर पर समाप्त होगी। इसमें भारी संख्या में लोगों के सम्मिलित होने की उम्मीद है, जो राजपूत समाज की एकता और गौरव को दर्शाएगा।
गाड़ियों और सोशल मीडिया पर दिखा उत्साह
महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती को लेकर नोएडा में उत्साह चरम पर है। आयोजन के प्रचार-पोस्टर शहर की गाड़ियों पर नजर आ रहे हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से साझा किए जा रहे हैं। समुदाय के लोग इन्हें शेयर कर अधिक से अधिक लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। यह प्रचार अभियान आयोजन के बड़े स्तर और आयोजकों की लगन को दर्शाता है।
सभी के लिए निमंत्रण: आइए, भाग लें इस ऐतिहासिक आयोजन में
आयोजकों ने सभी नागरिकों को सादर आमंत्रित किया है और अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने का आग्रह किया है। आधिकारिक निमंत्रण में लिखा है:
"आप सभी से अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में 'झांकी' और 'कार्यक्रम' में शामिल होकर आयोजन की शोभा बढ़ाएं।"
यह अवसर सिर्फ महाराणा प्रताप की स्मृति को सम्मानित करने का नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने, इतिहास को याद करने और समुदाय को एकजुट करने का भी है।
सुविधा हेतु, पोस्टर पर एक QR कोड भी दिया गया है, जिसे स्कैन कर आयोजन स्थल की सटीक लोकेशन प्राप्त की जा सकती है। अधिक जानकारी के लिए आयोजकों से निम्नलिखित नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है:
महाराणा प्रताप कौन थे?
🛡️ महाराणा प्रताप: स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक
महाराणा प्रताप भारत के इतिहास में एक ऐसे वीर राजा के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हर कठिनाई को झेला, लेकिन कभी भी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। उनका जन्म 16वीं शताब्दी में राजस्थान के एक दुर्ग में हुआ था। वे मेवाड़ के शासक थे और उनके पिता राणा उदयसिंह माने जाते हैं।महाराणा प्रताप की सबसे प्रसिद्ध लड़ाई हल्दीघाटी में हुई, जहाँ उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की विशाल सेना का डटकर मुकाबला किया। यह युद्ध भले ही निर्णायक न रहा हो, लेकिन इसने प्रताप की अडिग स्वतंत्रता-भावना को अमर कर दिया। उनका प्रिय घोड़ा चेतक आज भी वीरता और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। महाराणा प्रताप ने जंगलों, पहाड़ों और कठिन परिस्थितियों में रहकर भी अपनी भूमि की रक्षा की और कभी भी किसी विदेशी ताकत के आगे नहीं झुके। आज भी उनका जीवन साहस, राष्ट्रभक्ति और आत्मबल की प्रेरणा देता है—खासकर युवाओं के लिए।महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को हुआ था। वे मेवाड़ के 13वें शासक थे और भारतीय इतिहास में साहस, स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ 1576 की हल्दीघाटी की लड़ाई लड़ी और अपार चुनौतियों के बावजूद कभी झुके नहीं।
यह आयोजन क्यों महत्वपूर्ण है?
यह जयंती केवल एक ऐतिहासिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है। इससे न केवल समाज में गर्व की भावना जागृत होती है, बल्कि युवाओं को अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ने का अवसर भी मिलता है। इस पहल का नेतृत्व राजपूत युवा संगठन नोएडा और अन्य राजपूताना संगठन कर रहे हैं, जो वीरता और गौरव की भावना को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।