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"सिंह " सिर्फ राजपूत ही होते हैं! और राजपूतों को किसी भी प्रकार का जातिगत आरक्षण नहीं मिलता, इसलिए सिंह नाम वालों का जातिगत आरक्षण तुरंत रोक देना चाहिए !

"सिंह " सिर्फ राजपूत ही होते हैं! और राजपूतों को किसी भी प्रकार का जातिगत आरक्षण नहीं मिलता, इसलिए सिंह नाम वालों का जातिगत आरक्षण तुरंत रोक देना चाहिए !

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लखनऊ, 26 अप्रैल 2025:
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक कथित बयान ने उत्तर प्रदेश में जातिगत आरक्षण को लेकर नई बहस छेड़ दी है। यादव के हवाले से दावा किया गया है कि "सिंह" उपनाम केवल राजपूत समुदाय से संबंधित है, और चूंकि राजपूतों को जातिगत आरक्षण का लाभ नहीं मिलता, इसलिए "सिंह" उपनाम वालों का आरक्षण तत्काल प्रभाव से बंद कर देना चाहिए। इस बयान पर सोशल मीडिया उपयोगकर्ता रीना एन. सिंह ने एक पोस्ट के जरिए समर्थन जताया, जिसमें उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से आरक्षण केवल पिछड़े और शोषित वर्गों तक सीमित करने की मांग की।

रीना एन. सिंह ने अपनी पोस्ट में लिखा, "अखिलेश यादव जी ने सही कहा है कि 'सिंह' सिर्फ राजपूत ही होते हैं और राजपूतों को किसी भी प्रकार का जातिगत आरक्षण नहीं मिलता। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आरक्षण उसी वर्ग को देना चाहिए जो पिछड़े और शोषित हैं।" उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की मांग की।

हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि "सिंह" उपनाम का उपयोग भारत में कई समुदायों, जैसे यादव, जाट, गुर्जर, दलित, और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों द्वारा भी किया जाता है। इस वजह से, अखिलेश यादव के कथित बयान को लेकर भ्रम और विवाद उत्पन्न हो गया है। कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने तर्क दिया कि उपनाम के आधार पर आरक्षण को रद्द करना अव्यवहारिक और भेदभावपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह जातिगत पहचान को पूरी तरह परिभाषित नहीं करता।

इस मुद्दे पर अभी तक केंद्र सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं ने भी अखिलेश यादव के इस बयान की पुष्टि या खंडन नहीं किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा जातिगत आरक्षण की जटिलताओं को और उजागर करता है, और इसके लिए नीतिगत स्तर पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

स्रोत: सोशल मीडिया पोस्ट (एक्स), 26 अप्रैल 2025।

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