अहमदाबाद: चंदोला झील पर चला बुलडोजर: अवैध बस्तियों पर कड़ी कार्रवाई, लोग बोले – हां ठीक है लेकिन थोड़ा वक्त तो देते!

 अहमदाबाद: चंदोला झील पर चला बुलडोजर: अवैध बस्तियों पर कड़ी कार्रवाई, लोग बोले – हां ठीक है लेकिन थोड़ा वक्त तो देते!

चंदोला झील पर चला बुलडोजर: अवैध बस्तियों पर कड़ी कार्रवाई, लोग बोले – हां ठीक है लेकिन थोड़ा वक्त तो देते!

अहमदाबाद, 29 अप्रैल 2025:
अहमदाबाद के चंदोला झील के पास मंगलवार को जो हुआ, उसने सैकड़ों लोगों की ज़िंदगी पल भर में बदल दी। सुबह-सुबह जब लोग उठे भी नहीं थे, तब AMC की टीमें जेसीबी मशीनें, डंपर और भारी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचीं और अवैध बस्तियों को गिराने का काम शुरू कर दिया।

ये सब एक सरकारी ऑपरेशन का हिस्सा था – गुजरात सरकार अब अवैध कब्जों और घुसपैठियों पर सख्ती दिखा रही है।

कहानी की शुरुआत कहां से हुई?

चंदोला झील के आसपास पिछले कई सालों से लोग बिना किसी अनुमति के झोपड़ियां डालकर रह रहे थे। कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेज भी बना लिए थे। प्रशासन ने पहले इलाके का सर्वे कराया, फिर कोर्ट में मामला गया। कोर्ट ने कहा – ये सरकारी ज़मीन है, नोटिस देने की ज़रूरत नहीं। फिर क्या था, सीधे बुलडोजर चल गए।

सुबह-सुबह लोग बदहवास थे

कई लोगों को कुछ समझ ही नहीं आया। महिलाएं सामान समेटती रहीं, बच्चे डर से रोते रहे। कुछ लोगों ने कहा – “हमें पता होता, तो कहीं और चले जाते... हम तो यहीं पले-बढ़े थे।”

पुलिस की मौजूदगी भारी थी

कार्रवाई के दौरान हजारों की संख्या में पुलिस वाले तैनात थे। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया, जिनमें से कुछ पर फर्जी दस्तावेजों से रह रहे घुसपैठियों का शक है। पुलिस अभी जांच कर रही है, कई लोगों को छोड़ भी दिया गया है।

झील को बचाने की बात भी है

चंदोला झील अहमदाबाद की एक पुरानी और अहम जल संरचना है। लेकिन उसके चारों तरफ बस्तियां बसने से गंदगी फैल रही थी, और झील की हालत बिगड़ती जा रही थी। प्रशासन का कहना है कि झील को उसके असली रूप में लौटाना ज़रूरी है, वरना आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी भी नहीं बचेगा।

लोग क्या कह रहे हैं?

कुछ लोग सरकार की इस कार्रवाई को सही बता रहे हैं – कह रहे हैं, “अब बहुत हो गया था, सरकारी ज़मीन पर कब्जा नहीं होने देना चाहिए।”
लेकिन कुछ लोग दुखी हैं – “हां भाई, अवैध था मान लिया… लेकिन इंसान हैं हम भी, एक चिट्ठी तो भेजते, 5 दिन का वक्त तो देते!”

क्या आगे भी ऐसे ही चलेगा?

प्रशासन का कहना है कि ये सिर्फ एक शुरुआत है। अब शहर के बाकी हिस्सों में भी ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी और फर्जी दस्तावेज़ों का जाल भी तोड़ा जाएगा।

तो सवाल उठता है – क्या ये सही तरीका था?

सरकार की नीयत साफ है – अवैध कब्जे हटाओ, शहर को व्यवस्थित बनाओ। लेकिन क्या तरीका भी वैसा ही संवेदनशील है? क्योंकि जब बुलडोजर चलता है, तो सिर्फ दीवारें नहीं टूटतीं – किसी का सपना, किसी की रसोई, किसी की दुनिया भी मलबे में दब जाती है।

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