"चिल्ला गांव के देवेंद्र चौहान ने रचा इतिहास, नेशनल मास्टर गेम में 95 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर किया प्रदेश और गांव का नाम रोशन"
संघर्ष, समर्पण और जुनून का नाम है देवेंद्र सिंह चौहान। हाल ही में धर्मशाला के भव्य स्टेडियम में आयोजित नेशनल मास्टर गेम प्रतियोगिता में देवेंद्र चौहान ने 95 किलो भार वर्ग में फाइनल मुकाबले में केरल के मजबूत खिलाड़ी को हराकर पहला स्थान प्राप्त किया। यह जीत सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि एक पूरे गांव, प्रदेश और देश के युवाओं के लिए प्रेरणा की एक मिसाल है।
प्रतियोगिता में भारत के हर कोने से आए खिलाड़ी अपनी ताकत और हुनर आजमाने पहुंचे थे। लेकिन चिल्ला गांव के इस लाल ने न केवल अपने दमदार खेल से, बल्कि अपनी विनम्रता और अनुशासन से भी सभी का दिल जीत लिया।
देवेंद्र सिंह चौहान सिर्फ एक विजेता नहीं हैं, बल्कि एक गुरु, एक प्रेरक भी हैं। वे अपने गांव चिल्ला में स्थित पृथ्वीराज चौहान जुडो अकैडमी का संचालन करते हैं, जहां वे बिना किसी शुल्क के बच्चों, युवाओं और महिलाओं को जूडो की शिक्षा देते हैं।
छोटे बच्चों से लेकर बड़े युवाओं और लड़कियों तक — हर कोई उनके पास आत्मरक्षा और खेल के गुर सीखता है। देवेंद्र चौहान अब तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुके हैं और उनका सपना है कि उनके गांव और क्षेत्र के बच्चे भी एक दिन देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन करें।
"मेरा मकसद सिर्फ जीतना नहीं, बल्कि अपने अनुभव और शिक्षा से दूसरों की जिंदगी में बदलाव लाना है," — देवेंद्र चौहान का यही संकल्प उन्हें भीड़ से अलग बनाता है।
विशेष बात यह भी है कि देवेंद्र सिंह चौहान श्रीलंका से भी जुड़े हुए हैं और वहां के जूडो कल्चर का अनुभव लेकर भारत में नई ऊर्जा से अकैडमी को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी मेहनत और सेवाभाव से हजारों बच्चों को न केवल खेल में, बल्कि आत्मनिर्भर बनने की राह मिल रही है
आज जब चारों ओर युवा रास्ता भटक रहे हैं, देवेंद्र सिंह चौहान जैसे लोग हमें सिखाते हैं कि असली सफलता सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों को भी साथ लेकर चलने में है।
उनकी जीत सिर्फ चिल्ला गांव या मयूर विहार फेस-1 के लिए नहीं, बल्कि हर उस युवा के लिए एक संदेश है —
"अगर जज्बा सच्चा हो, तो कोई सपना दूर नहीं।"