डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती 2025: संविधान निर्माता को राष्ट्र की श्रद्धांजलि
नोएडा, 14 अप्रैल –
आज पूरे देश में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती बड़े सम्मान और गर्व के साथ मनाई जा रही है। देश के कोने-कोने में रैलियों, संगोष्ठियों और श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन हो रहा है। बाबा साहब अंबेडकर न सिर्फ भारत के संविधान निर्माता थे, बल्कि वे सामाजिक न्याय, समानता और शिक्षा के सबसे बड़े पैरोकारों में से एक थे।
अंबेडकर कौन थे? – एक महान जीवन यात्रा
भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था। वे एक दलित परिवार से थे और जीवन भर जाति आधारित भेदभाव से लड़े। बावजूद इसके, उन्होंने शिक्षा को अपना हथियार बनाया। वे कई भाषाओं के जानकार थे और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त की।
“शिक्षा वह शस्त्र है जिससे समाज बदला जा सकता है।” – डॉ. अंबेडकर
संविधान निर्माता और लोकतंत्र का स्तंभ
डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का शिल्पकार माना जाता है। वे भारत के पहले कानून मंत्री बने और 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने हर नागरिक को समान अधिकार दिलाने की नींव रखी।
“मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।” – डॉ. अंबेडकर
अंतर्जातीय समरसता और बौद्ध धर्म की ओर रुख
अंतिम वर्षों में उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया और लाखों अनुयायियों के साथ दीक्षा ली। उनका यह कदम सामाजिक बदलाव का प्रतीक बना। आज भी लाखों लोग बाबा साहब के विचारों को मानते हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलते हैं।
Ambedkar Jayanti का महत्व
हर साल 14 अप्रैल को भारत सहित दुनिया भर में अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी जाती है।
यह दिन समानता, शिक्षा और अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले हर इंसान को समर्पित होता है।
Dainik Padtaal की श्रद्धांजलि
DainikPadtaal.com की ओर से डॉ. भीमराव अंबेडकर को कोटि-कोटि नमन।
आइए, हम सभी मिलकर इस महान आत्मा के विचारों को अपनाएं और एक न्यायपूर्ण समाज की रचना में योगदान दें।
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